Contact No.+91-9829526743, +91-9887343939
Email_Id:-Babaramdevhanumanmandir@gmail.com
Facebook Page:-http://www.Facebook.com/babaramdevmandir

Tuesday, 6 November 2012

BOHITARAJ KO PARCHA OR PARCHA BAWARI

बोहिता को परचा व परचा बावड़ी

एक समय रामदेव जी ने दरबार बैठाया और निजीया धर्म का झण्डा गाड़कर उँच नीच, छुआ छूत को जड़ से उखाड़कर फैंकने का संकल्प किया तब उसी दरबार में एक सेठ बोहिताराज वहां बैठा दरबार में प्रभू के गुणगान गाता तब भगवान रामदेव जी अपने पास बुलाया और हे सेठ तुम प्रदेश जाओ और माया लेकर आओ। प्रभू के वचन सुनकर बोहिताराज घबराने लगा तो भगवान रामदेव जी बोले हे भक्त जब भी तेरे पर संकट आवे तब मैं तेरे हर संकट में मदद करूंगा। तब सेठ रूणिचा से रवाना हुए और प्रदेश पहुँचे और प्रभू की कृपा से बहुत धन कमाया। एक वर्ष में सेठ हीरो का बहुत बड़ा जौहरी बन गया। कुछ समय बाद सेठ को अपने बच्चों की याद आयी और वह अपने गांव रूणिचा आने की तैयारी करने लगा। सेठजी ने सोचा रूणिचा जाउंगा तो रामदेवजी पूछेंगे कि मेरे लिये प्रदेश से क्या लाये तब सेठ जी ने प्रभू के लिये हीरों का हार खरीदा और नौकरों को आदेश दिया कि सारे हीरा पन्ना जेवरात सब कुछ नाव में भर दो, मैं अपने देश जाउंगा और सेठ सारा सामान लेकर रवाना हुआ। सेठ जी ने सोचा कि यह हार बड़ा कीमती है भगवान रामदेव जी इस हार का क्या करेंगे, उसके मन में लालच आया और विचार करने लगा कि रूणिचा एक छोटा गांव है वहां रहकर क्या करूंगा, किसी बड़े शहर में रहुँगा और एक बड़ा सा महल बनाउंगा। इतने में ही समुद्र में जोर का तुफान आने लगा, नाव चलाने वाला बोला सेठ जी तुफान बहुत भयंकर है नाव का परदा भी फट गया है। अब नाव चल नहीं सकती नाव तो डूबेगी ही। यह माया आपके किस काम की हम दोनों मरेंगे।
सेठ बोहिताराज भी धीरज खो बैठा। अनेक देवी देवताओं को याद करने लगा लेकिन सब बेकार, किसी भी देवता ने उसकी मदद नहीं की तब सेठजी को श्री रामदेव जी का वचन का ध्यान आया और सेठ प्रभू को करूणा भरी आवाज से पुकारने लगा। हे भगवान मुझसे कोई गलती हुयी हो जो मुझे माफ कर दीजिये। इस प्रकार सेठजी दरिया में भगवान श्री रामदेव जी को पुकार रहे थे। उधर भगवान श्री रामदेव जी रूणिचा में अपने भाई विरमदेव जी के साथ बैठे थे और उन्होंने बोहिताराज की पुकार सुनी। भगवान रामदेव जी ने अपनी भुजा पसारी और बोहिताराज सेठ की जो नाव डूब रही थी उसको किनारे ले लिया। यह काम इतनी शीघ्रता से हुआ कि पास में बैठे भई वीरमदेव को भी पता तक नहीं पड़ने दिया। रामदेव जी के हाथ समुद्र के पानी से भीग गए थे।
बोहिताराज सेठ ने सोचा कि नाव अचानक किनारे कैसे लग गई। इतने भयंकर तुफान सेठ से बचकर सेठ के खुशी की सीमा नहीं रही। मल्लाह भी सोच में पड़ गया कि नाव इतनी जल्दी तुफान से कैसे निकल गई, ये सब किसी देवता की कृपा से हुआ है। सेठ बोहिताराज ने कहा कि जिसकी रक्षा करने वाले भगवान श्री रामदेव जी है उसका कोई बाल बांका नहीं कर सकता। तब मल्लाहों ने भी श्री रामदेव जी को अपना इष्ट देव माना। गांव पहुंचकर सेठ ने सारी बात गांव वालांे को बतायी। सेठ दरबार में जाकर श्री रामदेव जी से मिला और कहने लगा कि मैं माया देखकर आपको भूल गया था मेरे मन में लालच आ गया था। मुझे क्षमा करें और आदेश करें कि मैं इस माया को कहाँ खर्च करूँ। तब श्री रामदेव जी ने कहा कि तुम रूणिचा में एक बावड़ी खुदवा दो और उस बावड़ी का पानी मीठा होगा तथा लोग इसे परचा बावड़ी के नाम से पुकारेंगे व इसका जल गंगा के समान पवित्र होगा। इस प्रकार रामदेवरा (रूणिचा) मे आज भी यह परचा बावड़ी बनी हुयी है।

No comments:

Post a Comment